भाषा-प्रौद्योगिकी एक अंतरानुशासनिक विषय है. इसमें भाषाविज्ञान समकालीन वैश्विक फ़लक पर व्याप्त 'प्रौद्योगिकी' की सैद्धान्तिक उर्जा से सहबद्ध होकर स्वयं भाषाविज्ञान की वैज्ञानिकता को अभूतपूर्व ढंग से सार्थक करते हुए आम जन-मानस के समक्ष उपस्थित है. यह अनुशासन चिंतन के साथ ही पूरी तरह से प्रयोग पर आधारित है, जो अपने विभिन्न उपकरणों के साथ उपभोक्ताओं के लिए बडी तेजी से तैयार हो रहा है.

Monday, June 16, 2008

प्रिय बंधु ,

आश्चर्य है कि हम इतने वर्ष से भाषा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं कम से कम मैं कई वर्ष तक केंद्रीय हिंदी संस्थान में भाषा प्रौद्योगिकी की विभागाध्यक्ष रही और 2006 में सेवा निवृत्ति के बाद भी कार्यरत हूँ पर आप कहाँ छुपे हुए थे.
आपका ब्लॉग देखा . अच्छा लगा

मेरा ब्लॉग भी शुरू किया है
hindivashini.blogspot.com

4 comments:

Ranjit kumar said...
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Ranjit kumar said...
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Ranjit kumar said...
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Ranjit kumar said...
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